प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को एक “स्वर्णिम भारत” बनाने का सपना देखा है। इसके लिए उन्होंने कई आर्थिक सुधारों को लागू किया है, जैसे कि डिजिटल इंडिया अभियान, मेक इन इंडिया अभियान, और स्टार्टअप इंडिया अभियान। इन अभियानों का उद्देश्य भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और देश को एक विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित करना है।
हालांकि, भारतीयों का सोने का मोह इन अभियानों में बाधा बन रहा है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोने का उपभोक्ता है। भारतीय लोग सोने को एक मूल्यवान संपत्ति के रूप में देखते हैं और उसे एक सुरक्षित निवेश के रूप में भी देखते हैं। इस कारण से, भारतीय लोग अपनी बचत का एक बड़ा हिस्सा सोने में निवेश करते हैं।
सोने की खपत में वृद्धि भारत की अर्थव्यवस्था के लिए कई तरह से हानिकारक है। सबसे पहले, सोना एक आयातित वस्तु है। इसका मतलब है कि सोने की खपत से भारत को विदेशी मुद्रा भुगतान में कमी आती है। दूसरे, सोने की खपत से देश की बचत में कमी आती है। इसका मतलब है कि देश के पास विकास के लिए कम धन उपलब्ध होता है। तीसरे, सोने की खपत से देश की वित्तीय स्थिरता को खतरा होता है। इसका मतलब है कि देश की अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव होने की संभावना बढ़ जाती है।
पीएम मोदी के स्वर्णिम भारत के सपने को पूरा करने के लिए भारतीयों को सोने के मोह को कम करना होगा। इसके लिए सरकार को लोगों को सोने के खर्च को कम करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। सरकार को लोगों को सोने के बजाय अन्य सुरक्षित निवेश विकल्पों के बारे में जागरूक करना होगा।
यहां कुछ विशिष्ट उपाय दिए गए हैं जिनसे सरकार भारतीयों के सोने के मोह को कम करने में मदद कर सकती है:
- सोने पर आयात शुल्क बढ़ाना। इससे सोने की कीमतें बढ़ेंगी और लोग सोने को खरीदने में कतराने लगेंगे।
- सोने पर कर बढ़ाना। इससे सोने पर निवेश करने में लोगों की लागत बढ़ेगी।
- सोने के विज्ञापनों पर रोक लगाना। इससे लोगों में सोने के प्रति आकर्षण कम होगा।
- सोने के बजाय अन्य सुरक्षित निवेश विकल्पों को बढ़ावा देना। इससे लोग सोने के बजाय इन विकल्पों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित होंगे।
इन उपायों को लागू करके सरकार भारतीयों के सोने के मोह को कम करने और अपने स्वर्णिम भारत के सपने को पूरा करने में मदद कर सकती है।